'पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ में नहीं रुकती।' हिमाचल प्रदेश में ये सिर्फ एक कहावत नहीं, बल्कि वर्षों तक एक सच्चाई थी। यहां अनंत अवसर तो छिपे हुए थे, लेकिन कनेक्टिविटी जैसी तमाम रुकावटें इसके आड़े आती थीं। लेकिन बीते 8 वर्षों में 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के गांव-गांव तक कनेक्टिविटी पहुंचाने का काम किया है तो हाईड्रो इलेक्ट्रिसिटी, पर्यटन, फार्मा और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर में बेहतरीन सुधार के बाद हिमाचल अब अवसरों का नया प्रदेश बनकर उभरा है। विकास की ऐसी ही सौगातों को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अक्टूबर को बिलासपुर में एम्स का उद्घाटन किया तो 3600 करोड़ रुपये से ज्यादा की कई परियोजनाओं का उपहार भी हिमाचल को सौंपा…। वहीं 13 अक्टूबर को एक बार फिर हिमाचल प्रदेश को मिली वंदे भारत ट्रेन, बल्क ड्रग पार्क समेत कई परियोजनाओं की सौगात...
देश की कमान संभाले 8 वर्ष पूरा कर चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार देवभूमि हिमाचल को अपना दूसरा घर कह चुके हैं। देवभूमि से उनके स्नेहभरे रिश्ते की शुरुआत 90 के दशक में हुई थी। बतौर प्रभारी वे कुल्लू से किन्नौर और शिमला से सिरमौर तक नाप चुके हैं। शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद वह पहली बार मंडी आए तो वहां उपस्थित समूह से उन्होंने कहा, “बड़ी काशी का सांसद, छोटी काशी में आया है।” इस बार 5 अक्टूबर को प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद अपने 11वें हिमाचल दौरे पर पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के अपने दृष्टिकोण और संकल्प के साथ बिलासपुर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) का उद्घाटन किया। 1470 करोड़ रुपये की लागत से बने इस एम्स का शिलान्यास भी पीएम मोदी ने 3 अक्टूबर 2017 को ही किया था। हिमाचल प्रदेश को एम्स का उपहार देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं लगातार देखता था, यहां एक यूनिवर्सिटी से ही गुजारा होता था। इलाज हो या फिर मेडिकल की पढ़ाई, आईजीएमसी शिमला और टाटा मेडिकल कॉलेज पर ही निर्भरता थी। गंभीर बीमारियों का इलाज हो या फिर शिक्षा या रोजगार, चंडीगढ़ और दिल्ली जाना तब हिमाचल के लिए मजबूरी बन गया था। लेकिन बीते आठ वर्षों में हमारी सरकार ने हिमाचल की विकास गाथा को नए आयाम पर पहुंचा दिया है। आज हिमाचल में सेंट्रल यूनिवर्सिटी भी है, आईआईटी भी है, ट्रिपल आईटी भी है, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी हैं। देश में मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य का सबसे बड़ा संस्थान, एम्स भी अब बिलासपुर और हिमाचल की जनता की आन-बान-शान बढ़ा रहा है।”
एम्स के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने बंदला में गवर्नमेंट हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज का उद्घाटन किया। इस पर लगभग 140 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस कॉलेज से पनबिजली परियोजनाओं के लिए प्रशिक्षित कामगार उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। हिमाचल प्रदेश इस क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में से एक है। इससे युवाओं के कौशल को बढ़ाने और पनबिजली क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त अवसर प्रदान करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने नालागढ़ में लगभग 350 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क की आधारशिला भी रखी। इस मेडिकल डिवाइस पार्क में उद्योग स्थापित करने के लिए 800 करोड़ रुपये से अधिक के समझौता ज्ञापन पर पहले ही हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। इस परियोजना से क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इस प्रोजेक्ट के साथ ही हिमाचल देश के उन चार राज्यों में शामिल हो गया, जहां मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना की जा रही है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय राजमार्ग-105 पर पिंजौर से नालागढ़ तक करीब 31 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग को चार लेन का बनाने की परियोजना की आधारशिला भी रखी, इसकी लागत करीब 1690 करोड़ रुपये है।
…प्रोटोकॉल तोड़ भगवान रघुनाथ के रथ तक पहुंचे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 05 अक्टूबर को विजयादशमी के
पावन अवसर पर हिमाचल प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में शामिल हुए। कुल्लू पहुंचने पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कुल्लवी शॉल और टोपी पहनाकर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर रघुनाथ जी के रथ तक पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया। प्रधानमंत्री मोदी कुल्लू दशहरा उत्सव में शामिल होने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री हैं।
स्वास्थ्य: आत्मनिर्भर होगा हिमाचल
एम्स बिलासपुर के पूरी तरह से शुरू होने के बाद हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य की दृष्टि से आत्मनिर्भर हो जाएगा। इस एम्स से आधे हिमाचल को सीधा लाभ मिलने जा रहा है। बिलासपुर, हमीरपुर और मंडी जिला सीधे इससे लाभान्वित हो रहे हैं। इसके साथ ही कुल्लू व लाहौल स्पीति को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं अब बिलासपुर एम्स से ही मिलेंगी। इस क्षेत्र में अब तक इस स्तर का कोई बड़ा स्वास्थ्य संस्थान नहीं था। उक्त पांच जिलों के करीब 30 लाख लोगों को एम्स बिलासपुर का सीधे तौर पर लाभ मिलेगा।
8 वर्षों में मिली ढेरों सौगातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हिमाचल में अटल टनल पूरी हुई। बड़े प्रोजेक्ट्स की बात की जाए तो रेणुका बांध परियोजना के रास्ते की काफी अड़चने दूर हो चुकी हैं। इसके अलावा मंडी में एक हजार करोड़ रुपये का ग्रीन फील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट, ऊना में बल्क ड्रग फार्मा पार्क, किरतपुर-मनाली फोरलेन जैसे प्रोजेक्ट गति पकड़ रहे हैं। वर्ष 2019 में केंद्र ने हिमाचल को 4893 करोड़ रुपये का फ्लड प्रोजेक्ट मंजूर किया था। इसके अलावा भारतमाला प्रोजेक्ट में हिमाचल की चार सड़कें शामिल हुई हैं। हिमाचल में 2017 में केंद्र सरकार ने हिमालयन सर्किट ऑफ स्वदेश दर्शन योजना के लिए 100 करोड़ रुपये की घोषणा की थी। हिमाचल सरकार के चार साल पूरा होने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने मंडी दौरे पर राज्य को 11,581 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी थी। इस बार 5 अक्टूबर को अपने हिमाचल दौरे पर बांदला में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “साल 2014 तक हिमाचल में सिर्फ 3 मेडिकल कॉलेज थे, जिसमें 2 सरकारी थे। पिछले 8 सालों में 5 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज हिमाचल में बने हैं। 2014 तक अंडर और पोस्टग्रेजुएट मिलाकर सिर्फ 500 विद्यार्थी पढ़ सकते थे, आज ये संख्या 1200 से अधिक, यानि दोगुने से भी ज्यादा हो चुकी है।”
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आत्मनिर्भर हिमाचल प्रदेश बन
रहा है नए भारत का आधार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अक्टूबर महीने की 13 तारीख को फिर हिमाचल प्रदेश के दौरे पर रहे, जहां उन्होंने विकास की कई परियोजनाओं की आधारशिला रखी और उद्घाटन किया। बात फॉर्मा की हो या अन्य पहल की, आत्मनिर्भर भारत के लिए आज हिमाचल प्रदेश आत्मनिर्भर हो रहा है। 21वीं सदी की आधुनिक सुविधाएं आज अगर हिमाचल प्रदेश में पहुंच रही हैं तो उसका कारण है - राज्य और केंद्र सरकार के बीच बेहतर समन्वय। पिछले 8 वर्षों में पूरे देश के पहाड़ी क्षेत्रों, दुर्गम इलाकों, जनजातीय क्षेत्रों में तेज विकास का एक महायज्ञ चल रहा है। इसका लाभ हिमाचल के चंबा, पांगी - भरमौर, छोटा-बड़ा भंगाल, गिरिपार, किन्नौर और लाहौल-स्पीति जैसे क्षेत्रों को मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश के चंबा में दो पनबिजली परियोजनाओं-48 मेगावाट की छंजू - III पनबिजली परियोजना और 30 मेगावाट की देवथल छंजू पनबिजली परियोजना की आधारशिला रखी। परियोजना की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज जिन प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास हुआ है, इससे बिजली उत्पादन के क्षेत्र में चंबा की हिस्सेदारी बढ़ने वाली है। यहां जो बिजली पैदा होगी, इससे चंबा को, हिमाचल को सैकड़ों करोड़ रुपयों की कमाई होगी और यहां के नौजवानों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।” हिमाचल दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ऊना में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) भी राष्ट्र को समर्पित किया जिसकी आधारशिला 2017 में उन्होंने खुद रखी थी। वर्तमान में इस संस्थान में 530 से अधिक छात्र अध्ययन कर रहे हैं।
ऊना के हरोली में बल्क ड्रग पार्क की आधारशिला
प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान ने सरकार की विभिन्न नई पहलों के समर्थन के माध्यम से देश को कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाया है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने फॉर्मा, इलेक्ट्रॉनिक, रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में कई कदम बढ़ाए हैं। ऐसा ही एक प्रमुख क्षेत्र फार्मास्यूटिकल्स है और इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने ऊना जिले के हरोली में बल्क ड्रग पार्क की आधारशिला रखी। देश को बल्क ड्रग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से देश भर में तीन बल्क ड्रग पार्क बनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। हिमाचल प्रदेश भारत का इकलौता राज्य बना है जिसे बल्क ड्रग पार्क और मेडिकल डिवाइसेस पार्क की स्वीकृति मिली। नालागढ़ में मेडिकल डिवाइस पार्क का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी ने किया। अब उन्हीं के द्वारा ऊना जिले के हरौली तहसील में 1405 एकड़ भूमि पर बल्क ड्रग पार्क का भी शिलान्यास 13 अक्टूबर को किया गया। यह बल्क ड्रग पार्क हिमाचल के विकास में एक नया अध्याय जोड़ेगा। देवभूमि हिमाचल अमृत काल में विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में महत्वपूर्ण भागीदार बनकर उभर रहा है। n
मेडिकल डिवाइस के साथ बल्क ड्रग पार्क भी हिमाचल में
nआत्मनिर्भरता की राह पर भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने फॉर्मा, इलेकट्रॉनिक, रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में कई कदम बढ़ाए हैं। देवभूमि हिमाचल अमृत काल में विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में महत्वपूर्ण भागीदार बनकर उभर रहा है।
nआज हिमाचल प्रदेश में फॉर्मा क्षेत्र में 600 औद्योगिक इकाईयां काम कर रही हैं, जिसमें 15 यूएसएफडीए हैं और 242 विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता प्राप्त इकाईयां भी है।
n राज्य से 10 हजार करोड़ रुपये का सालाना फॉर्मा निर्यात होता है जो प्रदेश के कुल निर्यात का 50 फीसदी है।
n भारत के दवा निर्माण में 40 फीसदी हिस्सेदारी अकेले हिमाचल प्रदेश की है। एक प्रकार से भारत पिछले कुछ वर्षों में फॉर्मेसी ऑफ द वर्ल्ड के रूप में स्थापित हुआ है तो हिमाचल लगातार देश की फॉर्मेसी के रूप में अपनी पहचान मजबूत कर रहा है।
n देश को बल्क ड्रग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से देश भर में तीन बल्क ड्रग पार्क बनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। हिमाचल प्रदेश भारत का इकलौता राज्य बना है जिसे बल्क ड्रग पार्क और मेडिकल डिवाइसेस पार्क की स्वीकृति मिली।
n नालागढ़ में मेडिकल डिवाइस पार्क का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी ने 5 अक्टूबर को ही किया।
n 1923 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह ड्रग पार्क हजारों करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करेगा। इससे करीब 20 हजार से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार और बड़ी संख्या में अप्रत्यक्ष रोगजार के अवसर भी सृजित होंगे।
n इस पार्क से न केवल हिमाचल की एपीआई मांग पूरी होगी, बल्कि समूचे उत्तर भारत के फॉर्मा सेक्टर को लाभ होगा। आसपास अनेक छोटे-लघु उद्योग व कारोबार विकसित होंगे।
ऊना से नई दिल्ली के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी
nप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई वंदे भारत एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाई। अब नई दिल्ली से अंदौरा के लिए चलने वाली यह ट्रेन देश में शुरू की जाने वाली चौथी वंदे भारत ट्रेन है।
nयह पहले की तुलना में एक उन्नत संस्करण है, जो बहुत हल्का है और कम अवधि में उच्च गति तक पहुंचने में सक्षम है। यह महज 52 सेकेंड में 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ लेती है। ट्रेन की शुरुआत से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलने और यात्रा का एक आरामदायक और तेज तरीका प्रदान करने में मदद मिलेगी।
nजीपीएस आधारित पैसेंजर इन्फोर्मेशन सिस्टम, बायो वैक्यूम टॉयलेट, एलईडी लाइटिंग, हर सीट पर चार्जिंग प्वाइंट, वाई-फाई, वातानुकूलित ट्रेन सफर को आरामदायक, सुरक्षित बनाएगी।
n वंदे भारत ट्रेन से समय की बचत के साथ विकास को नया आयाम मिलेगा। इससे हिमाचल प्रदेश और नई दिल्ली के बीच कनेक्टिविटी के नए आधुनिक युग की शुरुआत हुई है।